सपा-बसपा गठबंधन की वजह से महज इतनी सीटों पर सिमट सकती है बीजेपी

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ गठबंधन सत्ताधारी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहा है. उत्तर प्रदेश में लोगों के बीच इस गठबंधन को लेकर मौजूद उत्साह यह बताता है कि बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में सीटों का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 80 में से 71 सीटें जीती थीं. जबकि बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने भी दो सीटें जीती थीं. इस तरह से एनडीए के पास कुल 73 सीटें थी. सूत्रों के अनुसार मायावती और अखिलेश यादव इस बार एनडीए के 2014 में जीते गए 73 सीटों के आंकड़े को महज 37 सीटों तक सीमित रख सकते हैं. सूत्रों के विश्लेषण के अनुसार बीजेपी इतनी सीटें भी तभी ला सकती है अगर पीएम मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही राज्य में अपनी कोई छाप छोड़ने में सफल हो पाएं. वहीं, अगर कांग्रेस इस गठबंधन के साथ आती है तो बीजेपी को और 14 सीटें गवानी पड़ सकती है, जिसका मतलब साफ तौर पर यह हुआ कि इस बार बीजेपी के उत्तर प्रदेश में महज 23 सीटें ही जीत दर्ज करने की संभावना दिख रही है.

मौजूदा स्थित के अनुसार कांग्रेस को मायावती और अखिलेश यादव ने अपने गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया है. अगर चुनाव तक कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर रहती है तो इसका फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है. ऐसे में बीजेपी 14 सीटें जीत सकती है. मायावती और अखिलेश यादव जिस तरह से कांग्रेस को अपने गठबंधन से बाहर रखने पर अड़े हैं. इसका साफ मतलब यह निकलता है कि 80 में से ज्यादातर सीटों पर त्रिकोणिय मुकाबला होगा और ऐसी स्थिति में बीजेपी विरोधी मतों का विभाजन होगा. 

सोमवार को एक बार फिर मायावती ने कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने के उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा कि अगर कांग्रेस चाहे तो वह सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार ले. खास बात यह है कि कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में मायावती-अखिलेश यादव गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ने की बात कही थी. इसी के जवाब में मायावती ने कांग्रेस को सभी 80 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की नसीहत दी थी. 

अखिलेश यादव ने सूत्रों से बातचीत में कहा था कि देश की बड़ी पार्टी के नाते कांग्रेस को चाहिए कि वह दूसरी राजनीतिक पार्टियों की मदद की कोशिश करें. उन्होंने कहा था कि अगर अभी की बात की जाए तो कांग्रेस ममता बनर्जी की मदद करने की कोशिश जरूर करेगी. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल लड़ेंगे और वहां उन्हें उनका समर्थन करना चाहिए. अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो हम एक गठबंधन बना चुके हैं, उन्हें हमारा समर्थन करना चाहिए.

कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेताओं के अनुसार अगर उसे गठबंधन में जगह मिलती है तो इससे पार्टी को अपने उस उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिलेगी जिसके तहत वह बीजेपी को यूपी में हराना चाहती है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस और गठबंधन में शामिल दल इस बार आसानी से 50 से 60 सीटें जीतेंगे. 

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